वास्तु क्या है?

मित्रों, क्या आप जानते हैं,  वस्तु क्या है? वास्तु का शब्द आपने बहुत बार सुना होगा आज हम आपको वास्तु और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं को इस आर्टिकल के माध्यम से बताने का प्रयास करता हूं। वास्तु व्यापार, करियर, भवन, निर्माण, वस्तुओं के रख-रखाव एवं उचित प्रबंधन के आधार पर मनुष्य के सांसारिक जीवन में अप्रत्यक्ष दोनों रूपों में देता है, इसके बारे में हम चर्चा करेंगे।

वास्तु क्या है? इसका इतिहास और उत्पत्ति:

जैसा कि हम जानते हैं की वास्तु को प्राचीन समय से ही लोगों इस विज्ञान का उपयोग करते आ रहे है। वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान भी है जिसका उपयोग पृथ्वीवासी भवन के निर्माण, स्थान चयन और दिशा के अनुसार ऊर्जा के संतुलन को स्थापित करने के लिए पौराणिक विधियों के अनुसार उपयोग में ले रहे हैं।

“वास्तु” शब्द संस्कृत के “वस्” धातु से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ है “रहने योग्य स्थान”। इसका उल्लेख ऋग्वेद अथर्व और महाभारत जैसे ग में मिलता है।

अगर बात करें वास्तु के इतिहास के बारे में तो लगभग 500 वर्ष पुराना है। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा सभ्यता की योजनाएं भी वास्तु सिद्धांतों को ध्यान में रख निर्माण किया गया है। इसके मूल रचयिता विश्वकर्मा माने जाते हैं, इन्हें देवों का शिल्पी कहा गया है।

वास्तु शास्त्र का जीवन पर प्रभाव:

वास्तु का सीधा प्रभाव हमारे शारीरिक मानसिक और आर्थिक जीवन पर पड़ता है। यदि किसी भवन की दिशाएं और ऊर्जा का सही संतुलन स्थापित हो जाए, तो उसमें रहने वाले व्यक्ति का जीवन सफल और सुखद हो जाता है।

मुख्य क्षेत्रों पर प्रभाव:

  • व्यवसाय: उत्तर दिशा में वास्तु दोष व्यापार में रुकावट ला सकता हैजबकिसुधार सेग्रंथ एवं तरक्की की स्थापित की जाती है।
  • करियर: पश्चिम दिशा में सही वस्तु होने से प्रोफेशनल लाइफ में तरक्की मिलती है।
  • धन संपत्ति: दक्षिण पूर्व (अग्नि ) कोण का संतुलन आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है।
  • घर का वातावरण: वास्तु के अनुसार बनाए गए घरों में पारिवारिक सुख शांति समृद्धि और बेहतर स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से प्रभावकारी एवं लाभप्रद होता है।
  • व्यापारिक स्थल: दुकान, ऑफिस इत्यादि जगहों पर वास्तु दोष ग्राहकों की कमी नुकसान घाटा, व्यापार में गिरावट, तनाव इत्यादि का कारण बन सकता है।

वास्तु के फायदे और नुकसान:

अब बात करते हैं वास्तु के फायदेक्या है?

  • सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि।
  • मानसिक शांति औरलक्ष्य निर्धारण में सफलता।
  • धन-धान्य और समृद्धि का आगमन।
  • बीमारी झगड़ा और कर्ज जैसी समस्याओं मेंकमी।
  • रिश्तो में सुधार मधुरता और आपसी समझ में बढ़ोतरी।

अब बात करते हैं 

नुकसान(यदि वास्तु दोष हो):

  • लगातार मानसिक तनाव औरचिंता।
  • व्यापार और नौकरी में बार-बार रुकावटें।
  • पारिवारिक कल स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं।
  • अचानक खर्च और आर्थिक संकट।
  • जीवन शैली में बढ़ाएं।
  • बनते हुए काम का बिगड़ जाना।
  • एक निर्धारित लक्ष्यऔर समृद्धि प्राप्त करने के बाद छीन जाना।

निष्कर्ष:

वास्तु शास्त्र सिर्फ एक पौराणिक मान्यता ही नहीं है बल्कि यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह ऊर्जा संतुलन का विज्ञान है। हमारा यह हमारे जीवन को संतुलित समृद्ध और सकारात्मकबन सकता है। यदि आप अपने जीवन में तरक्की सुख शांति व्यापार में वृद्धि आर्थिक तंगी से निजात पाना चाहते हैं, औरसंतुलित जीवन जीना चाहते हैं तो ऊर्जा संतुलन के लिए वास्तु विज्ञान का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है।

तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद हमें यह समझ में आ चुका है की वास्तु शास्त्र को अपनाना एक बुद्धिमानी भरा निर्णय हो सकता है। जो हमारे जीवन में सफलता सुख समृद्धि, करियर, व्यापार में सफलता दिलाने में सहायक है।

आपको यह आर्टिकल कैसा लगा इसके बारे में आप अपने विचार जरूर दें। हम चाहते हैं कि इस ज्ञान का उपयोग करके आप स्वयं की, अपने सगे-संबंधियों और समाज के लोगों को जागरूक करके उनको, उनकी समस्याओं से छुटकारा दिलाकर उनके जीवन में तरक्की सुख समृद्धि शांति ला करके अपना पुण्य कायम करने में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करें।

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